वर्चुअल क्लासरूम एवं एग्री-दीक्षा वेब एजुकेशन चैनल का हुआ लोकार्पण
तकनीकी का इस्तेमाल तथा उसका नियंत्रण दोनों ही अति आवश्यक: श्री तोमर
16 अप्रैल, 2021, नई दिल्ली
श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं पंचायती राज मंत्री के मुख्य आतिथ्य में आज वर्चुअल क्लासरूम एवं एग्री-दीक्षा वेब एजुकेशन चैनल का लोकार्पण किया गया। इन सुविधाओं पर साहित्य का भी विमोचन किया गया। इसी दौरान अन्वेषण केंद्र और ‘ड्रोन रिमोट सेंसिंग पर मैनुअल’ का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की पूरी टीम और कृषि-शिक्षा से जुड़े शिक्षाविदों की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान और उन्नत कृषि शिक्षा ही कृषि को रोजगार सृजन का माध्यम बना सकता है।
श्री तोमर ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत पूसा संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग के वैज्ञानिकों/शिक्षाविदों ने अनुसंधान कार्यों तथा उन्नत शिक्षा के दायित्व का निर्वहन ज़िम्मेदारीपूर्वक निभाई है। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि भारत सरकार की कृषि से जुड़ी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लाने में डिजिटल प्लेटफार्म की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। उन्होंने कहा कि डिजिटली/वर्चुअली एक बार में अधिक-से-अधिक लोगों से जुड़ा जा सकता है। मंत्री ने कहा कि डिजिटल इंडिया की दिशा में आज का यह दोनों कार्यक्रम कृषि-शिक्षा से जुड़े छात्रों और किसान के जीवन स्तर में बदलाव लाकर आने वाले दिनों में मील का पत्थर साबित होगा।
श्री परषोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र के अनुसंधान व शिक्षा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा तकनीकी हस्तक्षेप काबिले-तारीफ है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के कारण ऑनलाइन डिजिटल प्लेटफॉर्म का लगातार चलन में आना इस बात का साफ संकेत देता है कि भविष्य में यह जरूरी तथा नियमित हो जाएगा। श्री रूपाला ने आईसीएआर के स्वयं के ऑनलाइन मीटिंग एप्प की जरूरतों की तरफ ध्यान दिलाते हुए आग्रह किया कि तकनीकी का अधिक-से-अधिक प्रसार करते हुए उसका इस्तेमाल आर्थिक उपार्जन के लिए भी करना चाहिए।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि डिजिटल इंडिया की दिशा में कृषि-शिक्षा व गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान से जुड़े क्षेत्र के लिए यह एक क्रांतिकारी पहल है। उन्होंने वर्चुअल क्लासरूम एवं एग्री-दीक्षा वेब एजुकेशन चैनल तथा अन्वेषण केंद्र एवं ड्रोन सुदूर संवेदी प्रयोगशाला की विशेषताओं का जिक्र करते हुए कहा कि यह आने वाले दिनों में गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान, कृषि शिक्षा एवं किसानों के जीवन-स्तर में बेहतर बदलाव का संकेत है।
श्री संजय कुमार सिंह, अतिरिक्त सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं सचिव (भा.कृ.अनु.प.) ने अपने स्वागत संबोधन में राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (NAHEP) की कार्यप्रणालियों/गतिविधियों तथा नई शिक्षा नीति के प्रति सजगता से संबंधित जानकारियों को साझा किया। उन्होंने छात्रों के ऊपर इस योजना के सकारात्मक प्रभाव को भी रेखांकित किया।
डा. राकेश चन्द्र अग्रवाल, उप महानिदेशक (शिक्षा), भाकृअनुप ने राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना की योजनाओं खासकर कृषि-मेघ का जिक्र करते हुए वर्चुअल क्लासरूम एवं एग्री-दीक्षा वेब एजुकेशन चैनल के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये सुविधाएँ कृषि-मेघ प्लेटफॉर्म में ही अंतर्निहित रहेगी। उप महानिदेशक ने कहा कि छात्रों के लिए यह योजना बहुत ही महत्त्वपूर्ण व कारगर साबित होगी।
डॉ. अशोक कुमार सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-भाकृअनुसं, नई दिल्ली ने कहा कि कृषि संसाधनों के दक्षतापूर्ण उपयोग के लिए उच्च तकनीकियों – जैव प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमता, मशीन लर्निंग, बिग डेटा आदि विधाओं- की उपलब्धता सभी के लिए आसान नहीं होता। उन्होंने कहा कि ऐसे में सभी वैज्ञानिकों व छात्रों के लिए इन सुविधाओं को मुहैया कराने की दिशा में विश्व बैंक पोषित राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना के तहत पूसा संस्थान में एक ही छत के नीचे इन सभी संसाधनों को एकत्र कर अन्वेषण केंद्र के नाम से एक सामान्य सुविधा केंद्र की स्थापना की गई है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
(स्त्रोत: भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, नई दिल्ली)