Inauguration of 26th meeting of Regional Committee-V of ICAR held on 7th December 2020

7 दिसंबर, 2020, नई दिल्ली

श्री परशोत्तम रूपाला, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री के मुख्य आतिथ्य में आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय समिति-V (दिल्ली, हरियाणा और पंजाब) की 26वीं बैठक का कृषि भवन, नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया गया। इस बैठक का आयोजन भाकृअनुप-भारतीय कृषि सांख्यिकी अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा किया गया।

श्री रूपाला ने कहा कि यह बैठक भाकृअनुप की एक उच्चतम प्रक्रिया है, जो लोकतंत्र की परंपराओं का निर्वहन करते हुए क्षेत्रीय संरचनाओं, विविध जलवायु तथा स्थानीय समस्याओं के प्रश्नों की पहचान करता है और उसके समाधान के लिए राज्य सरकार, कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र के साथ मिलकर कार्य करता है। ऐसे प्रयासों व ऐसी बैठकों के लिए उन्होंने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की सराहना की। मंत्री ने पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य को उन्नत बनाए रखने के लिए पराली जलाने के बदले उसे गलाने पर ज़ोर दिया।

श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि पिछली बैठक में तय किए गए कार्य-बिंदुओं की समीक्षा और आगामी योजनाओं पर विचार-मंथन के लिए क्षेत्रीय समिति की ऐसी बैठकें एक मंच मुहैया करवाती हैं। उन्होंने क्षेत्रीय स्तर पर किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों को सशक्त करने पर जोर दिया। श्री चौधरी ने कहा कि किसानों को सरकारी योजनाओं सहित कृषि-प्रौद्योगिकियों के प्रति जागरूक करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय, राज्य सरकार और कृषि विज्ञान केंद्र को समन्वय के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों के द्वारा भाकृअनुप के प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।

जे. पी. दलाल, कृषि मंत्री, हरियाणा ने कहा कि किसानों की दुगुनी आय की दिशा में हम भारत सरकार के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कृषि-क्षेत्र में हरियाणा सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए जल के उचित उपयोग पर जोर दिया।

श्री गोपाल राय, पर्यावरण मंत्री, दिल्ली ने पराली की समस्याओं के समाधान के लिए पूसा द्वारा निर्मित डी-कंपोजर को उपयोग में लाने पर जोर दिया। उन्होंने दिल्ली में डी-कंपोजर के उपयोग का अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि ऐसा करने से मिट्टी की उपजाऊ-क्षमता बढ़ती है जिससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने राज्य-सरकारों से नि:शुल्क डी-कंपोजर के छिड़काव का आग्रह किया और कहा कि इससे पराली की समस्याओं का उचित समाधान संभव हो पाएगा।  

डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने बैठक की पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कहा कि 1974 से इस तरह के बैठकों का आयोजन होता आ रहा है। महानिदेशक ने जलवायु अनुकूल फसलों पर जोर दिया। डॉ. महापात्र ने कहा कि क्षेत्रीय समितियों की ऐसी बैठकें समय-सारणी के साथ-साथ कार्य-योजना के क्रियान्वयन व समीक्षाओं की एक व्यवस्था है।

डॉ. महापात्र ने डी-कंपोजर के साथ-साथ बीज-प्रतिस्थापन और बागवानी फसलों के कटाई उपरांत मजबूत व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया।  

श्री संजय कुमार सिंह, अतिरिक्त सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं सचिव (भा.कृ.अनु.प.) ने सभी गणमान्य अतिथियों का आभार प्रस्तुत किया।

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद , निदेशक, भा. कृ. अनु. प.- भा. कृ. सां. अनु. सं.  ने कार्यवाही प्रतिवेदन रिपोर्ट प्रस्तुत की | 

पूरे दिन चली इस बैठक में राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कृषि अनुसंधान एवं विकास से संबंधित विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई एवं कृषि वैज्ञानिकों ने अपने सुझाव रखे। साथ ही, अगले 2 वर्षों के लिए विस्तृत कार्य-योजनाओं का निर्धारण भी किया गया। 

समिति के बैठक में भा.कृ.अनु.प. के उप महानिदेशकों, अतिरिक्त महानिदेशकों, भा.कृ.अनु.प.-संस्थानों के निदेशकों, कृषि विश्वविद्यालय के कुलपतियों, राज्य सरकार के अधिकारियों तथा केवीके के अधिकारियों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज की।

(स्त्रोत: भा.कृ.अनु.प.-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालयनई दिल्ली) 

Skip to toolbar